जन्माष्टमी (Janmashtami), जिसे कृष्ण जन्माष्टमी के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह भगवान विष्णु के आठवें अवतार, भगवान श्री कृष्ण के जन्म का उत्सव मनाता है। दुनिया भर में हिंदू धर्म के अनुयायी इस त्योहार को बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं।
मथुरा और वृंदावन में जन्माष्टमी
उत्तर प्रदेश के पवित्र शहर मथुरा और वृंदावन भगवान कृष्ण से गहराई से जुड़े हुए हैं। माना जाता है कि भगवान कृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ था। इसलिए, ये शहर जन्माष्टमी के दौरान विशेष रूप से जीवंत होते हैं। लाखों श्रद्धालु इन शहरों में आते हैं ताकि वे भगवान कृष्ण के जन्मस्थान का दर्शन कर सकें।
जन्माष्टमी का महत्व
जन्माष्टमी का धार्मिक महत्व बहुत गहरा है। भगवान कृष्ण को धर्म, कर्म और भक्ति का प्रतीक माना जाता है। उनकी लीलाएं और उपदेश आज भी लोगों को प्रेरित करते हैं। जन्माष्टमी के दिन, लोग उपवास करते हैं, मंदिरों में जाते हैं, भजन गाते हैं और भगवान कृष्ण को प्रसाद चढ़ाते हैं।
जन्माष्टमी के दौरान मनाए जाने वाले रीति-रिवाज
जन्माष्टमी के दौरान विभिन्न प्रकार के रीति-रिवाज मनाए जाते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख रीति-रिवाज हैं:
मध्यांत काल: माना जाता है कि भगवान कृष्ण का जन्म मध्यरात्रि में हुआ था। इसलिए, मध्यरात्रि को विशेष पूजा की जाती है।
झांकी: जन्माष्टमी के दौरान भगवान कृष्ण के जीवन से जुड़ी झांकियां सजाई जाती हैं।
दही हांडी: महाराष्ट्र में दही हांडी एक लोकप्रिय रीति-रिवाज है, जिसमें युवा लोग मानव पिरामिड बनाकर ऊंचाई पर लटकाए गए दही से भरे मटके को फोड़ते हैं।
जन्माष्टमी का सांस्कृतिक महत्व
जन्माष्टमी न केवल एक धार्मिक त्योहार है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक त्योहार भी है। यह लोगों को एक साथ लाता है और सामाजिक बंधनों को मजबूत करता है। जन्माष्टमी के दौरान, लोग विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेते हैं, जैसे कि नृत्य, संगीत और नाटक।
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